Information and Facts about Gaya, India
Information about Gaya
Name | Gaya |
---|---|
Country | India |
Continent | Asia |
Come in existance | 1787 |
Previous name any | Daegaya |
Area in KM | 90.17 km2 |
Area in miles | 34.81 sq mi |
Water Area | 90.17 km² |
Population | 470,839 |
Population Density | 9,482/km2 (24,560/sq mi) |
Lat Long | 24.7955° N, 84.9994° E |
Name of Monuments | Mahabodhi Temple, Vishnupad Temple, Dungeshwari Cave Temples, Barabar Caves, Bodhi Tree, Chinese Temple And Monastery |
Places to Visit | Mahabodhi Temple, Vishnupad Temple, Dungeshwari Cave Temples, Barabar Caves, Bodhi Tree, Chinese Temple And Monastery, Bodhgaya Archaeological Museum, Muchalinda Lake, Thai Temple And Monastery, Royal Bhutan Monastery |
Time Zone | IST (UTC+5:30) |
STD | 91-631 |
Zip Code Start | 823001 |
Languages | Hindi, English, Urdu |
Mayor | Soni Kumari |
Rivers | Ganga |
Airports | Gaya International Airport |
Historical facts of Gaya in Hindi
गया, झारखंड और बिहार के फल्गु नदी के तट पर बसा भारत के बिहार राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रुप से एक धार्मिक नगरी के रुप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से जुड़ा है। नवनिर्मित गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और यहीं बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
गया बिहार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर खासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। लोगो का मानना है कि गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे जो आज भी विष्णुपद मंदिर में देखने को मिलते हैं।
गया मौर्य काल में एक महत्वपूर्ण नगर था। खुदाई के दौरान सम्राट अशोक से संबंधित आदेश पत्र पाया गया है। मध्यकाल में यह शहर मुगल सम्राटों के अधीन था। मुगलकाल के पतन के उपरांत गया पर अनेक क्षेत्रीय राजाओं ने राज किया। 1787 में होल्कर वंश की साम्राज्ञी महारानी अहिल्याबाई ने विष्णुपद मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
गया के दर्शनीय स्थल
विष्णुपद मंदिर-फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित यह मंदिर 30 मीटर ऊंचा है जिसमें आठ खंभे हैं। इन खंभों पर चांदी की परतें चढ़ाई हुई है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के 40 सेंटीमीटर लंबे पांव के निशान हैं। इस मंदिर का 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने नवीकरण करवाया था।
जामा मस्जिद– बिहार की सबसे बडी मस्जिद है। यह तकरीबन २०० साल पुरानी है। इसमे हजारो लोग साथ नमाज अदा कर सकते हैं।
बानाबर पहाड़-गया से लगभग २० किलोमीटर उत्तर बेलागंज से १० किलोमीटर पूरब मे स्थित है। इसके ऊपर भगवान शिव का मन्दिर है, जहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालू सावन के महीने मे जल चढ़ते है। कहते हैं इस मन्दिर को बानासुर ने बनवाया था। पुनः सम्राट अशोक ने मरम्मत करवाया। इसके नीचे सतघरवा की गुफा है, जो प्राचीन स्थापत्य कला का नमूना है।
प्राचीन एबं अद्भुत शिव मंदिर-चोवार गया शहर से 35 किलोमीटर पूर्व में एक गॉव है चोवार जो की अपने आप में एक बहुत ही अद्भुत है इस गॉव में एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर है जहा सैकड़ो सर्धालू बाबा बालेश्वरनाथ के ऊपर जल चढाते है पर आजतक ये जल कहाँ जाता है कुछ पता नहीं चलता है इसके पीछे के कारन किसी को नहीं पता चला लगभग हजारो सालों से ये चमत्कार की जाँच करने आये सैकड़ो बैज्ञानिको ने भी ये दाबा किया है की ये भगवान शिव का चमत्कार है। और इसी गॉव में कुछ सालों पहले सड़क निर्माण के दौरान यहाँ एक बहुत ही बड़ा घड़ा निकला जिसमे हजारो शुद्ध चाँदी के सिक्के निकले थे! और आज भी इस गॉव से अष्टधातु की अनेको मूर्तियाँ है जो की, आज भी शिव मंदिर में देखने को मिलता है। इस गॉव में एक ताड़ का पेड़ भी है जो इस चोवार गॉव की शोभा बढ़ाता है इसमे खास बात तो ये है की,ये ताड़ का पेड़ एक, दो, नहीं बल्कि पुरे तिन डाल का पेड़ है जो की भगवान शिव की त्रिशूल की आकार का है! दूर-दूर से लोग इस पेड़ को देखने के लिये आते हैं।
कोटेस्वरनाथ-यह अति प्राचीन शिव मन्दिर मोरहर नदी के किनारे मेन गाँव में स्थित है। यहाँ हर वर्ष शिवरात्रि में मेला लगता है। यहाँ पहुँचने हेतु गया से लगभग ३० किमी उत्तर पटना-गया मार्ग पर स्थित मखदुमपुर से पाईबिगहा समसारा होते हुए जाना होता है। गया से पाईबिगहा के लिये सीधी बस सेवा उपलब्ध है।
सूर्य मंदिर-सूर्य मंदिर प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के 20 किलोमीटर उत्तर और रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। भगवान सूर्य को समर्पित यह मंदिर सोन नदी के किनारे स्थित है। दिपावली के छ: दिन बाद बिहार के लोकप्रिय पर्व छठ के अवसर पर यहां तीर्थयात्रियों की जबर्दस्त भीड़ होती है। इस अवसर पर यहां मेला भी लगता है।
ब्रह्मयोनि पर्वत-इस पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने के लिए ४४० सीढ़ियों को पार करना होता है। इसके शिखर पर भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर विशाल बरगद के पेड़ के नीचे स्थित हैं जहां पिंडदान किया जाता है। इस स्थान का उल्लेख रामायण में भी किया गया है। दंतकथाओं पर विश्वास किया जाए तो पहले फल्गु नदी इस पहाड़ी के ऊपर से बहती थी। लेकिन देवी सीता के शाप के प्रभाव से अब यह नदी पहाड़ी के नीचे से बहती है। यह पहाड़ी हिन्दुओं के लिए काफी पवित्र तीर्थस्थानों में से एक है। यह मारनपुर के निकट है।
मंगला गौरी-मंगला गौरी पहाड पर स्तिथ यह मंदिर मां शक्ति को समर्पित है। यह स्थान १८ माहा शक्ति पिथों मैं से एक है। माना जाता है कि जो भी यहां पुजा कराते हैं उन्कि मन कि इच्छा पुरि होति है। इसी मन्दिर के परिवेश मैं मां काली, गणेश, हनुमान तथा भगवान शिव के भी मन्दिर स्तिथ हैं।
बराबर गुफा-यह गुफा गया से 20 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस गुफा तक पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर पैदल और 10 किलोमीटर रिक्शा या तांगा से चलना होता है। यह गुफा बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। यह बराबर और नागार्जुनी श्रृंखला के पहाड़ पर स्थित है। इस गुफा का निर्माण बराबर और नागार्जुनी पहाड़ी के बीच सम्राट अशोक और उनके पोते दशरथ के द्वारा की गई है। इस गुफा उल्लेख ई॰एम. फोस्टर की किताब ए पैसेज टू इंडिया में भी किया गया है। इन गुफओं में से 7 गुफाएं भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरख में है।
बिहार की ताज़ा खबरें, बिहार समाचार, Gaya News in Hindi