पानीपत जानकारी, नक्शा और दर्शनीय स्थल
पानीपत के बारे मे जानकारी
पानीपत, हरियाणा का एक पुराना और ऐतिहासिक शहर है। यह दिल्ली-चंडीगढ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। यह क्षेत्र, हरियाणा के अन्तर्गत आता है और दिल्ली से ९० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पुराने काल में पांडवों एवं कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध इसी के पास कुरुक्षेत्र में हुआ था, इसलिये इसका धार्मिक महत्व भी बढ़ गया है। महाभारत युद्ध के समय में युधिष्ठिर ने दुर्योधन से जो पाँच स्थान माँगे थे उनमें से यह भी एक था। यहाँ पर तीन इतिहास प्रसिद्ध युद्ध भी हुए हैं। पहला युद्ध में, सन् 1526 में बाबर ने भारत की तत्कालीन शाही सेना को हराया था। दूसरा युद्ध में, सन् 1556 में अकबर ने उसी स्थल पर अफगान आदिलशाह के जनरल हेमू को परास्त किया था। तीसरा युद्ध में, सन् 1761 में, अहमदशाह दुर्रानी ने मराठों को हराया था। यहाँ अलाउद्दीन द्वारा बनवाया एक मकबरा भी है।
पानीपत का नक्शा
पानीपत शहर का नक्शा गूगल मैप पर
पानीपत शहर दर्शनीय स्थल
पानीपत म्यूजियम, ओल्ड फोर्ट, कबुली शाह मॉके, देवी टेम्पल, बू अली शाह कलंदर तुंब, ग्रेव ऑफ़ इब्राहिम लोधी, सलार गूँज गेट
पानीपत की लड़ाई
पानीपत की लड़ाई, पानीपत में ३ लड़ाईया हुयी है और तीनो ही लड़ाईया भारत के इतिहास में एक न्य ऐतिहासिक मोड़ लाने वाली साबित हुयी है, वैसे तो पानीपत हरियाणा का एक छोटा स गांव है पर इन ३ लड़ाइयों ने पानीपत को भारत के इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर दिया, अगर भारत में मुग़ल की नीव की बात हो, तो पानीपत का युध्द याद आता है, अगर हिन्दू राजा और मुघलो के घमासान और निर्णायक युद्ध की बात हो तो पानीपत का दूसरा युद्ध याद आता है, और अगर मराठो की पराजय और भारत से हिन्दू राजाओ के अकाल की शुरबात का जिक्र हो तो भी पानीपत का तृतीय युद्ध याद आता है, इस तरह से पानीपत के युद्ध का अपना एक अलग ही युद्ध है, और हर युद्ध में अनीति का भरपूर इस्तेमाल कर के हिन्दू राजाओ को पराजित किया गया, जीसी मुगल परस्त इतिहासकारो ने बताया भी नहीं।
बाबर के बाद हुमायु ने भारत में मुघलो की नुमाइंदगी की, जब हुमायु को शेरशाह शुरी ने भारत से खदेड़ दिया और फिर शेर शाह सूरी के मृत्यु के बाद ही लौट तो शेरशाह सूरी का पूरा साम्राज्य उसको बिना मेहनत किये ही मिल गया, और जब अकबर १४ साल के आसपास था तभी सीढ़ियों से गिर कर हुमायु का निधन हो गया, उसके बाद जो भी इतिहास में हुआ वो निर्णायक ही रहा।
पानीपत का पहला युद्ध
पानीपत के प्रथम युद्ध के बारे में जब भी बात चलती है तो मुझे बहुत हंसी आती है क्योंकि इस युद्ध में बाबर के पास सिर्फ १५००० सैनिक थे वही लोदी के पास १ लाख ३० हजार थे, फिर भी हार गया लोधी, क्यों हार गया, इसका कारन था, बाबर ने इस युद्ध को धर्म युद्ध का नाम दिया था, अपने हर सैनिक के दिमाग में ये भरने में कामयाब रहा की वो खुद का काम नहीं वल्कि खुदा का काम कर रहे है, इस्लाम को बढ़ने के लिए इस युध्द में उनका जितना जरुरी है, इसलिए बाबर का हर सैनिक जी जान से लड़ा वही लोधी के सैनिक इस आत्मविस्वास में थे हमारे पास सैन्यबल ज्यादा है, यह लड़ाई हरियाणा के पानीपत अमाक गांव में हुयी थी, २१ अप्रैल १५२६ में हुयी थी, और इस युद्ध में बाबर की जीत का कारन था उसकी छोटी छोटी तोपें जिनको वह घोड़ो और ऊँटो की पीढ़ पर लाद कर लाया और उनके चलने से लोधी की सेना माँ शामिल हाथियो में भगदड़ मच गयी और उन्होंने पलटकर अपने ही सेनिको को रदन शुरू कर दिया, जिसके कारन लोधी के सेनिको का मनोबल टूटने लगा कुछ जान बचाने में लग गए और जो सामने दिखे उनको बाबर के सेनिको ने मार दिया, और अंत में लोघी को भी मार गया, इस युद्ध में हिन्दू राजा और राजपूत दोनों ही तटस्थ रहे।