कैथल, जानकारी, नक्शा, इतिहास और दर्शनीय स्थल

कैथल के बारे मे जानकारी

कैथल हरियाणा का एक जिला है, पहले यह करनाल जिले का हिस्सा था, फिर या कुरुक्षेत्र जिले का हिस्सा बना और यह १ नवम्बर १९८९ तक कुरुक्षेत्र का ही हिस्सा रहा और कैथल कुरुक्षेत्र जिले का मुख्यालय था, कैथल के चारो तरफ पंजाब का पटियाला, कुरुक्षेत्र, जींद और करनाल जिले है, कैथल हरियाणा के उत्तर पश्चिम हिस्से में स्थित है, कैथल का गुहला-चीका इसे पंजाब से जोड़ता है। यहाँ से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला और सांसद राज कुमार सैनी है।

कैथल का नक्शा

कैथल का नक्शा गूगल मैप पर

कैथल शहर के दर्शनीय स्थल

कैथल किला: कैथल किला, जो 1767-1843 समय का बना हुआ है, अभी कैथल के शाही परिवार का निवास स्थान है और जनता के लिए एक हिस्सा खुला भी है
रजिया सुल्तान का मकबरा : रजिया सुल्तान का मकबरा, सिंहासन नाम जलालत उद-दीन रज़िया, आमतौर पर रजिया सुल्ताना के रूप में इतिहास में जाना जाता है, वह 1236 से मई 1240 तक दिल्ली की सुल्तान थी।
भारत में सबसे ऊँचा राष्ट्रिय ध्वज : भारत में सबसे ऊँचा राष्ट्रिय ध्वज, कैथल में एक 22-से-14.6-मीटर (48 से 72 फुट) का ध्वज राष्ट्रीय ध्वज हनुमान वाटिका में जो की स्वयं जमीन के ऊपर 63 मीटर (207 फीट) फहराया गया है

कैथल की भोगोलिक जानकारी

कैथल के अक्षांश औए देशांतर इस प्रकार से है २९ डिग्री ८ मिनट उत्तर और ७६ डिग्री ३८ मिनट पूर्व में, इसका क्षेत्रफल २३१७ वर्ग किलोमीटर है, जनसँख्या २०११ की जनगणना के अनुसार १४४९१५ है ये सिर्फ कैथल की है जबकि कैथल जिले की जनसँख्या १०७२८६१ है और इसमें शहरी जनसँख्या २०% है, यह शहर समुद्रतल से २५० मीटर की ऊंचाई पर है , यहाँ की भूमि और जनसँख्या के आधार पर जनसँख्या घनत्व ४६९ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

कैथल की अन्य जानकारी

कैथल में १ लोक सभा सीट है जो की कुरुक्षेत्र के साथ साझेदारी में है, इसमें ४ विधान सभाये पड़ती है जो की गुहला, कलायत, कैथल और पूंडरी है, इसमें तहसील भी ४ ही है जिनके नाम वही है जो विधान सभाओ के नाम है, यहाँ का एसटीडी कोड ०१७४६ है पिन १३६०२७ है, वहां पंजीकरण हरियाणा 08 से hai परंतु व्यवसायिक वाहनों के लिए हरियाणा ८८०, यहाँ महिला पुरुष अनुपात ८८० प्रति १००० पुरुषो पर है।

कैथल का इतिहास

कैथल का इतिहास बहुत प्राचीन है, इतना प्राचीन है की हम इसको पांडवो के इतिहास अर्थात महाभारत के इतिहास के साथ जोड़ सकते है, पुराणों और अन्य जानकारी के श्रोतो के अनुसार अब यह प्रमाणित हो चुका है की कैथल नगर की स्थापना महाराजा युधिष्ठिर ने की थी।

युधिषिठर ने इसका नाम कपिस्थल रखा था, क्योंकि एक मान्यता के अनुसार इसी जगह पर महाराजा भीम को भगवान हनुमान ने अपनी विजय ध्वज दी थी अर्जुन के रथ पर लगाने के लिए, किंतु कालांतर में इतना क्लिस्ट और संस्कृत का उच्चारण लोगो के लिए कठिन हो गया तो कपिस्थल का अपभ्रंश नाम कैथल पड़ गया। यह स्थान कुरु साम्राज्य का अभिन्न अंग था।

अगर हम मध्यकालीन इतिहास पर नजर डाले तो जिसने भी दिल्ली में बैठ कर शासन किया कैथल उसके ही अधीन रहा, किन्तु सबसे ज्यादा इस स्थान की ख्याति इस बात से है की यहाँ पर इल्तुतमिश की पुत्री रजिया सुल्तान की हत्या की गयी थी, माना जाता है की रजिया के राज्य के मुख्य अधिकारी लोगो ने जब १३ नवम्बर १२४० में विद्रोह किया तो उसने भाग कर यहाँ पर शरण ली, यहाँ के लोगो ने रजिया का साथ दिया और विद्रोहियो को कड़ी टक्कर दी, पर फिर भी वो रजिया को बचने में सफल न हो सके, तब ग्राम वासियो ने उसको यही पर दफना कर उसका मकबरा बना दिया।

कैथल के इतिहास में, यहाँ पर सिक्खो के राज्य का वर्णन है, यहाँ के राजा देसु सिंह को सिख गुरु से आशीर्वाद प्राप्त था और उनके बाद यहाँ के हर सिख शासक को भाई की उपाधि से संबोधित किया जाता है, १८४३ तक कैथल पर सिखों का राज था भाई उदय सिंह की मृतयु १४ मार्च १८४३ को हो गयी थी जो की अंतिम सिख शासक थे, १० अप्रैल १८४३ को अंग्रेजो ने यहाँ हमला कर दिया यहाँ पर उदय सिंह की माता और उनकी पत्नी बहुत ही बहादुरी से लड़ी, पर ५ दिन बाद ही पटियाला के राजा ने कैथल का साथ देने से मन कर दिया, जिसके फलस्वरूप १५ अप्रैल १८४३ को कैथल अंग्रेजो के अधीन हो गया और मुख्य सेना पति टेक सिंह को कला पानी की सजा हो गयी, इतिहास साक्षी है की अगर अपने अपनों के साथ मुश्किल समय में साथ होते तो भारत देश कभी भी विदेशियो का गुलाम नहीं बनता।

आधुनिक कैथल के इतिहास पर अगर नजर डाले तो यह १९७३ के बाद से ही जन्म है, इसके पहले यह करनाल जिले का हिस्सा था, उसके बाद कुरुक्षेत्र का भाग बन गया, इसको जिला १ नवम्बर १९८९ में बनाया गया है।

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